सनातन धर्म में वेद सबसे प्राचीन और पवित्र धर्मग्रंथ माने जाते हैं। इन्हें 'अपौरुषेय' कहा गया है, जिसका अर्थ है कि इनकी रचना किसी मनुष्य ने नहीं की, बल्कि ईश्वर ने ऋषियों को ध्यान की अवस्था में इनका ज्ञान दिया। वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन काल में इन्हें सुनकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाया जाता था।
महर्षि कृष्ण द्वैपायन ने वेदों के विशाल ज्ञान को चार भागों में विभाजित किया, जिसके कारण उन्हें "वेद व्यास" के नाम से जाना गया।
🚩 चार वेद और उनकी विशेषताएं
प्रत्येक वेद का अपना एक विशेष महत्व और उद्देश्य है:
| वेद का नाम | मुख्य विषय |
|---|---|
| ऋग्वेद (Rigveda) | सबसे प्राचीन वेद। इसमें देवताओं की स्तुति और मंत्रों का संग्रह है। |
| यजुर्वेद (Yajurveda) | यज्ञ की विधियों और धार्मिक अनुष्ठानों के मंत्रों का वर्णन। |
| सामवेद (Samaveda) | संगीत का मूल स्रोत। इसमें ऋग्वेद की ऋचाओं को गाने की विधि है। |
| अथर्ववेद (Atharvaveda) | दैनिक जीवन, आयुर्वेद, विज्ञान और मनोविज्ञान का अद्भुत संगम। |
💎 वेदों का महत्व
वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वे विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र और चिकित्सा के भी भंडार हैं। आज का आधुनिक विज्ञान भी वेदों में छिपे रहस्यों को स्वीकार कर रहा है। शून्य की खोज से लेकर ग्रहों की गति तक, वेदों में सब कुछ समाहित है।
क्या आप जानते हैं?
गायत्री मंत्र, जिसे महामंत्र माना जाता है, वह ऋग्वेद के तीसरे मंडल से लिया गया है।
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ॐ नमः शिवाय