सनातन धर्म में दैनिक पूजा का विशेष महत्व है। घर के मंदिर में नियमित रूप से दीपक जलाने और देवी-देवताओं का स्मरण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यहाँ हम आपको बहुत ही सरल और प्रभावी नित्य पूजन विधि बता रहे हैं जिसे आप अपने व्यस्त जीवन में भी अपना सकते हैं।
| उत्तम समय | ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पूर्व) या प्रातः काल |
| प्रमुख सामग्री | शुद्ध जल, दीपक (घी/तेल), अक्षत, पुष्प, धूप/अगरबत्ती |
| पूजा की दिशा | पूर्व (East) या उत्तर (North) की ओर मुख |
📜 पूजन के मुख्य चरण (Step-by-Step)
- पवित्रीकरण: शुद्ध वस्त्र पहनकर आसन पर बैठें और अपने ऊपर थोड़ा जल छिड़कें। (ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥)
- दीप प्रज्वलन: सबसे पहले दीपक जलाएं और उसे प्रणाम करें। दीपक को पूजा का साक्षी माना जाता है। (शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥)
- गणेश स्मरण: किसी भी पूजा की शुरुआत 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र के साथ भगवान गणेश के ध्यान से करें। ( गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम्। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥ )
- स्नान और अर्घ्य: मूर्तियों या चित्रों पर प्रतीकात्मक रूप से शुद्ध जल छिड़कें (अभिषेक)।
- तिलक और अक्षत: देवी-देवताओं को रोली, चंदन या सिंदूर का तिलक लगाएं और बिना टूटे हुए चावल (अक्षत) अर्पित करें। (स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥)
- धूप-पुष्प: धूप या अगरबत्ती दिखाएं और ताजे फूल चढ़ाएं।
- नैवेद्य (भोग): भगवान को फल, मिश्री या दूध का भोग लगाएं और जल अर्पित करें।
- आरती: अंत में कपूर या दीपक से आरती करें और क्षमा याचना करें। (आवाहनं न जानामि
न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर॥ (
💡 विशेष सुझाव
यदि आपके पास समय कम हो, तो केवल पंचोपचार पूजन (गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य) करना भी पर्याप्त और शास्त्रसम्मत माना गया है। भाव सबसे महत्वपूर्ण है!
क्या आप इस सरल विधि का पालन करेंगे?
कमेंट में "ॐ नमः शिवाय" लिखें और हमें बताएं कि आप अगली पूजा विधि किस पर चाहते हैं!
"त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव॥"
॥ जय श्री कृष्ण ॥


ॐ नमः शिवाय